इश्क़ से आज़ादी

आज मैं आज़ाद हूँ
आसमान के रंग को
कागज़ पे बयां करने को,
और उसमे मुझे
तुम्हारी परछाई नज़र न आएगी ।
और बागों में खिलते 
फूलों से आती खुशबुओं में
फिर तुम्हारी कभी कोई भी
खुशबु नहीं अब आएगी ।
और चाँद चाँद ही हुआ करेगा रात में
अक्स न कोई होगा तुम्हारा,
छेड़ने आया  जो होगा
फिर किसी पुरानी बात पे।

आज मैं  आज़ाद हूँ -
अब ख्यालों में तुम्हारा -
कोई  भी - छोटा- बड़ा सा,
 कैसा भी - अच्छा-बुरा सा,
कुछ भी अब न आएगा ,
और मेरे थे जो सपने खो गए थे ,
बस तुम्हारे हो गए थे ,
फिर मेरे अब हो जायेंगे  ।
और हकीकत - जो कहीं पर
छूट गयी थी
या फिर शायद रूठ गयी थी,
आज  दोबारा साथ है,
और मेरे जज़्बात हैं
फिर से मेरे ही काबू मे।







Comments

  1. Bful poem.. Kisi breakup ki dard se gujar rahe devdas ko ye poem padha thoda better feel kare shayed wo :P

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  2. Haha... Bilkul. Hopefully, tumko kabhi zarurat nahi padegi :)

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  3. और चाँद चाँद ही हुआ करेगा रात में
    अक्स न कोई होगा तुम्हारा--- Kya baat kya baat

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