Kranti Gaan

काल यदि आया है अब तो
करें क्रांति का जय नारा |
पुष्पक सेज भुला कर अब दें 
कंटक राह पर जीवन सारा |

कल कोमल हो इसके हेतु 
आज अंत हो जाए तो क्या ?
युद्ध बिना ये जीवन क्या है ?
मोक्ष नहीं मिल पाए तो क्या ? 

सूर्य नहीं बनते हैं तब भी 
चलो बनें कोई धूमिल तारा |
काल यदि आया है अब तो 
करें क्रांति का जय नारा ||

कर कर में रहकर क्या होगा 
चलो कफ़न अब बांधें सर पर, 
पुरुष नहीं बैठा करते हैं 
कर में लेकर चूड़ी घर पर |

ले मशाल अब पथ पर बढ़ कर 
आज बाधा देना है पारा | 
काल यदि आया है अब तो 
करें क्रांति का जय नारा ||

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