khuda-e- husn

ऐ खुदा-ए-हुस्न
तेरा आना क़यामत था |
गिरा कर बिजलियाँ सब पर
तेरा जाना क़यामत था ||

कि जुड़वाँ शोले थे सुलगे
शहर में आग फैली थी |
कि दरिया सूख ही जाता
कि ऐसी आग गहरी थी ||

ऐसी आग सुलगा कर
यूँ शर्माना क़यामत था |
और पल में चाँद से शोला
बदल जाना क़यामत था ||

कि दिन में रात को लाती
कमर तक तेरी जुल्फें थीं
अँधेरी रात से काली
नदी सी बहती जैसे थीं |

कि ऐसी जुल्फें लहरा कर
मचल आना क़यामत था |
और जादू कर कोई काला
भुला जाना क़यामत था ||

ऐ खुदा-ए- हुस्न ......

Comments

  1. waaah waah
    ..ki aisi nazare bacha kar
    war karna qayamat tha..
    aur lavo k surkh pyalo se
    hame lalchana qayamat tha.

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  2. kya baat kya baat kya baat :P

    ReplyDelete

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