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देश मेरे,मैं तेरी खातिर

अस्ताचल सूरज  को भी मैं खींच-खींच कर, वापस लाकर, नभ के उच्च शिखर ले जाकर रख आऊँगा| ऐ देश मेरे, मैं तेरी खातिर, सागर के गहरे पानी को चीर-चीर कर मंथन करके , अमृत लाकर तुझको अमर बना जाउँगा | पुष्पों की  बगिया  कर अर्पण, खेतों के सीने से सोना  उपजा कर, तेरे चरणों में देश मेरे मैं मेरा मष्तक खरे खडग की नोंक पे अर्पित कर जाऊँगा |  देश मेरे  तेरी मिटटी के कम्बल में  लिपटा  मैं हिम को, वर्षा को और तूफानों को सह जाता हूं, तेरी ममता की  नदिया के  कोमल लहरों में बह जाता हूं| ए देश मेरे यह मेरा जीवन  तन मन धन  मैं अंजन मैं तुझको देता हूं और बदले में तेरी कोमल गोदी में सर को रख देता  हूँ |

तुम हो साथी और मंज़िल भी

तुम हो साथी और मंज़िल भी, तुम दीपक हो और सूरज भी । तुम चंदा हो और तारे हो , तुम थोड़े हो, तुम सारे हो । मेरी धरती भी तुम ही हो , और तुम आकाश भी मेरा  हो , मेरा सब अँधियारा हो तुम , और सब प्रकाश भी तुम ही हो । तुम मेरी हो, मेरे ऊपर, सारा अधिकार तुम्हारा है । मेरी धरती, मेरा जीवन, सारा ब्रह्मांड तुम्हारा है । 

Depression का गीत

मैंने  कभी नहीं था सोचा मैं Depression के गीत भी गाऊँगा, मैंने  कभी नहीं था सोचा Life के  Struggles से मैं थक जाऊंगा। मैंने कभी नहीं था सोचा मैं Depression के गीत भी गाऊँगा। मैं तो लड़ता था हर बार, हाथों में खंजर तैयार , आ जाये जो सामने खाता था हार ।  मेरा हँसता था संसार, मैं था खुशियों  सरदार, काटों के बाड़ों को काटा था हर बार । मैंने कभी नहीं था सोचा मेरी बगिया को Cactus खा जायेगा , मैंने कभी नहीं था सोचा मेरे चंदा ग्रहण में छुप जायेगा । मैंने कभी नहीं था सोचा मैं Depression के गीत भी गाऊँगा... मेरे दोस्त थे चार सौ चार और powerful मेरी car , जब चलती थी हर जंगल हो जाता पार । जब आता था कोई पहाड़ 2nd gear में रस्ता पार, उसके आगे छोटा लगता था थार । मैंने कभी नहीं था सोचा मेरे इंजन का डब्बा बन जाएगा , मैंने कभी नहीं था सोचा Fuel-tank  में बस कचरा बच जायेगा । मैंने  कभी नहीं था सोचा मैं Depression के गीत भी गाऊँगा ......... मैंने  कभी नहीं था सोचा Life के  Struggles से मैं थक जाऊंगा .......

इश्क़ से आज़ादी

आज मैं आज़ाद हूँ आसमान के रंग को कागज़ पे बयां करने को, और उसमे मुझे तुम्हारी परछाई नज़र न आएगी । और बागों में खिलते  फूलों से आती खुशबुओं में फिर तुम्हारी कभी कोई भी खुशबु नहीं अब आएगी । और चाँद चाँद ही हुआ करेगा रात में अक्स न कोई होगा तुम्हारा, छेड़ने आया  जो होगा फिर किसी पुरानी बात पे। आज मैं  आज़ाद हूँ - अब ख्यालों में तुम्हारा - कोई  भी - छोटा- बड़ा सा,  कैसा भी - अच्छा-बुरा सा, कुछ भी अब न आएगा , और मेरे थे जो सपने खो गए थे , बस तुम्हारे हो गए थे , फिर मेरे अब हो जायेंगे  । और हकीकत - जो कहीं पर छूट गयी थी या फिर शायद रूठ गयी थी, आज  दोबारा साथ है, और मेरे जज़्बात हैं फिर से मेरे ही काबू मे।

जो तुमको ना देखा

सारी दुनिया से बातें कर ली  तुमसे बात नहीं की तो सब कुछ खाली लगता है । सब के साथ हंसा किया और सब के साथ जाने कितने चुटकुले सुने-सुनाये । कितने खूब नज़ारे देखे, कितने किस्से सुने-सुनाये ।  लेकिन फिर भी अंतिम में,  अपने बिस्तर पे लेटे, सोने से कुछ पहले पाया - सब कुछ बेमानी सा है और सब कुछ खाली-खाली है जो तुमसे बात नहीं की ।  फ़िल्मों में देखा  कोई जब सुन्दर लड़की, सुन्दर कपड़ों में, सझी-धजी श्रृंगारित । बीच में बागों के, फूलों में  खड़ी हुई प्रफुल्लित; जैसे स्वर्ग से आयी परी हुई। उसको देखा और खुद में देखा। फिर सोचा, जब चाँद के नीचे, खाट पे लेटे सोने से पहले, तुमको ना देखा, ना कोई तस्वीर ही देखी, तो पाया कि सब कुछ बेमानी सा है और सब कुछ खाली-खाली है - जो तुमको ना देखा ।   

गरीब का बेटा

मेरी सबसे पहली कविताओं में से एक जो मैंने शायद २००२ में लिखी थी |आज के समय के हिसाब से थोड़े-बहुत  परिवर्तन किये हैं | एक मध्यम-वर्गीय लड़के कि दुविधा जो दुनिया के अमीरों को देख कर खुद को गरीब समझता है |  गरीब का बेटा  मैं  एक गरीब का बेटा हूँ,  महँगे मोबाइल afford नहीं कर सकता, इसलिए Nokia के सस्ते smartphones से काम चला रहा हूँ | पैसों की तंगी के कारण, Puma के जूते नहीं खरीद सकता,  इसलिए Reebok के सस्ते जूते पहनता हूँ | अमेरिका, यूरोप में छुट्टियां मनाना तो बस सपनों में हो सकता है, अभी तो जैसे-तैसे मलेशिया घूम के आता हूँ | Mercedes जैसी बड़ी कारें तो बूते के बाहर हैं, यहाँ तो i10 जैसी छोटी कारें ही चलाने को मिलती हैं | ये अमीर सारे, हम गरीबों का शोषण करते हैं | महँगी चीज़ें खरीदते हैं हमें चिढाने को  जब हम सस्ती चीज़ों से गुज़ारा कर रहे हैं| ये अमीर नहीं जानते  जो मजा गरीबी में है,  वो अमीरी में कहाँ है! जो नशा Blender's Pride में है, किसी Johnny Walker में कहाँ है |   उनके कपडे भले ही Dry Clean होते होंगे पर अपने कपड़ों कि गन्दगी के लिए...

कभी कभी ख्वाबों में जब तुम आती हो,.....

कभी कभी ख्वाबों में जब तुम आती हो, इतने सालों के बाद भी | कभी कभी रातों में  जब रजनीगंधा  खिड़की से बाँहें फैलाती है- और हवा थपकियाँ देती है हलके हलके से | सन्नाटे की लोरी, रात का राग कोई बन जाती है , जब तुम आती हो, इतने सालों के बाद भी |  ख्वाब कभी शामों के और कभी सुबहों के | ख्वाब कभी जन्नत के और कभी-कभी जंगल के अंधियारों के,  सन्नाटों के | जहां तुम हो, मैं हूँ  और बीच की तन्हाई हैं| ख्वाब तो मेरे अपने पर नहीं होते हैं, और सवेरे आँखों में जो किस्से हैं, नहीं होते हैं | बस होती है एक सुबह सुरीली, दिन दीवाने होते हैं, जब तुम आती हो,  इतने सालों के बाद भी | कभी कभी.....